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1963 से स्थापित बी.सी.एस.शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं 09 जून 1981 में शासकीयकरण के पश्चात् प्रगति के सोपान पर निरंतर अग्रसर हो रहा है। इस संस्था के गर्भ से नित नई प्रतिभाओं का जन्म हुआ है। चाहे वह शिक्षा, समाजसेवा, राजनीति, क्रीड़ा, संस्कृति आदि का ही क्षेत्र क्यों न हो।
ऋते ज्ञानान्न मुक्ति’’ अर्थात ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं है, कठोपनिषद् से लिया गया है यह श्रृतिवचन हमारे महाविद्यालय का आदर्श वाक्य भी है। अज्ञानता ही समस्त दुःखो एवं कष्टों की जड़ है और व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर अपने दुःखों से मुक्त होने में समर्थ बन पाता है। हमारा महाविद्यालय परिवार अपने इस आदर्श वाक्य को चरितार्थ करने के लिये निरंतर कृत संकल्प है।
संस्था के प्राचार्य के नाते मेरा यह प्रयास रहेगा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य की चुनौतियों के बीच शिक्षा नीति के द्वारा कर्मठ श्रमशील संस्कारयुक्त नागरिक तैयार करना। यह हमारा उद्देश्य है, जिसके लिए मैं सतत् प्रयासरत् रहूॅं।
(डाॅ.विनोद कुमार पाठक )
प्र.प्राचार्य
बी.सी.एस.शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय
जिला-धमतरी (छ.ग.)